प्रश्न - 1. कवि किसे संबोधित करके प्रश्न कर रहा है?
उत्तर : कवि तीर्थ यात्रा पर जाने वाले पथिक (संन्यासी) को संबोधित करके प्रश्न कर रहा है।
प्रश्न - 2. कवि मुख्य तीर्थ किसे मानता है?
उत्तर : कवि चित्तौड़ को मुख्य तीर्थ मानता है।
प्रश्न - 3. कवि किस ओर संकेत करके कहता है – 'इधर प्रयाग न गंगासागर'?
उत्तर : कवि यह संकेत करता है कि चित्तौड़ का तीर्थ प्रयाग, गंगासागर, रामेश्वर या काशी से अलग और विशेष है।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. पथिक चित्तौड़ क्यों जाना चाहता है?
उत्तर : पथिक चित्तौड़ इसलिए जाना चाहता है क्योंकि वह वहाँ के वीरों की बलिदानी भूमि और सतियों की पावन पद-धूलि को अपना तीर्थ मानता है।
प्रश्न - 2. पथिक कवि के प्रश्न का क्या उत्तर देता है?
उत्तर : पथिक उत्तर देता है कि उसे गंगासागर, रामेश्वर या काशी नहीं जाना, बल्कि चित्तौड़ जाना है जहाँ वीरों ने तलवार उठाई, माताओं-बहनों ने जौहर किया और बच्चों ने देश के लिए प्राण दिए।
प्रश्न - 3. कवि क्यों कहता है – 'क्या अपना पथ आए भूल?'
उत्तर : कवि इसलिए कहता है क्योंकि पथिक मस्ती में झूमते हुए जा रहा है और कवि को लगता है कि वह अपना मार्ग भूल गया है।
प्रश्न - 4. प्रस्तुत कविता को 'वीरों की पूजा' नाम क्यों दिया गया?
उत्तर : क्योंकि इसमें चित्तौड़ की वीर भूमि का महिमामंडन है। यहाँ के वीर, वीरांगनाएँ और बालक तक देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान हुए। कवि मानता है कि सच्ची पूजा इन्हीं वीरों की करनी चाहिए।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. कवि ने चित्तौड़ की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर : कवि ने बताया है कि –
चित्तौड़ का दुर्ग अचल और स्वतंत्रता का प्रतीक है। यहाँ के वीरों ने तलवार उठाकर आक्रमणकारियों का सामना किया। यहाँ की माताओं-बहनों ने जौहर की पावन परंपरा निभाई। यहाँ के बच्चों ने भी देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए। वीरों की टोली ने माँ की जयकार करके शत्रु से लोहा लिया।
प्रश्न - 2. चित्तौड़ को वीरों की भूमि इसलिए कहा जाता है क्योंकि –
उत्तर : यहाँ के रणबांकुरों ने देश की आन-मान-शान की रक्षा के लिए तलवारें उठाईं। माताओं और बहनों ने अपमान सहने की बजाय जौहर करके बलिदान दिया। यहाँ के बच्चों ने भी स्वतंत्रता की रक्षा में प्राण न्यौछावर किए। चित्तौड़ की धरती बलिदान, साहस और देशभक्ति से पावन हुई। इसीलिए इसे वीरों की भूमि और सच्चा तीर्थ कहा जाता है।