उत्तर : "दुकरा दो या प्यार करो।" कविता के रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं |
प्रश्न - 2. प्रस्तुत कविता में क्या संदेश निहित है?
उत्तर : "दुकरा दो या प्यार करो" कविता में सुभद्राकुमारी चौहान ने यह संदेश दिया है कि सच्चा प्यार त्याग और समर्पण से होता है, अहंकार को छोड़कर एक-दूसरे की समझदारी से जीना चाहिए।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. कवयित्री ने पूजा और पुजापा किसे कहा है और क्यों?
उत्तर : कवयित्री ने "पूजा" को सच्चे प्रेम और समर्पण का प्रतीक और "पुजापा" को अहंकार और दिखावे का प्रतीक कहा है, क्योंकि दिखावा सच्चे रिश्तों में अवरोध उत्पन्न करता है।
प्रश्न - कवयित्री प्रेममग्न हो मंदिर में क्या दिखाने और चढ़ाने आई है?
उत्तर : कवयित्री प्रेममग्न होकर मंदिर में भगवान को अपनी श्रद्धा व्यक्त करने आई हैं। वे भगवान को अपने दिल की सच्ची भावना और प्रेम भरी पूजा चढ़ाने आई हैं, न कि दिखावा।
प्रश्न - 3. कवयित्री ने किस वस्तु को स्वीकार करने अथवा ठुकराने के लिए कहा है?
उत्तर : कवयित्री ने "प्रेम" को स्वीकार करने अथवा "अहंकार" और "स्वार्थ" को ठुकराने के लिए कहा है। वे चाहती हैं कि प्रेम सच्चे मन से किया जाए, न कि दिखावे से।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. कवयित्री अपने पास पूजा-सामग्री में किन-किन वस्तुओं को प्रकट करती है?
उत्तर : कवयित्री अपने पास पूजा-सामग्री में "मन, वचन, और भावनाओं" को प्रकट करती हैं। वह भगवान के सामने अपने सच्चे प्रेम, समर्पण और निष्कलंक भावना को अर्पित करना चाहती हैं, न कि भौतिक वस्तुएं।
प्रश्न - 2. 'मैं उन्मत्त प्रेम की प्यासी' से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?
उत्तर : मैं उन्मत्त प्रेम की प्यासी" से कवयित्री का अभिप्राय है कि वह सच्चे, निस्वार्थ और निराकार प्रेम की गहरी इच्छाशक्ति रखती हैं। वे प्रेम की एक ऐसी भावना से अभिभूत हैं, जो किसी भी प्रकार के अहंकार या दिखावे से मुक्त हो, और जो पूरी तरह से समर्पण और आत्मविस्मरण से जुड़ी हो।