उत्तर : सुग्रीव वानरों का राजा तथा श्रीराम का मित्र था।
प्रश्न - 2. बालि कौन था?
उत्तर : बालि सुग्रीव का बड़ा भाई और किष्किन्धा का राजा था।
प्रश्न - 3. अंगद कौन था?
उत्तर : अंगद बालि और तारा का पुत्र था।
प्रश्न - 4. सुग्रीव कहाँ छिपा था?
उत्तर : सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर छिपा था।
प्रश्न - 5. हनुमान जी राम-लक्ष्मण से कैसे मिले ?
उत्तर : हनुमान जी वानर वेश में राम-लक्ष्मण से मिलने आए थे और संवाद के बाद उनकी मित्रता हुई।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. हनुमान जी वेश बदलकर राम-लक्ष्मण के पास क्यों गए?
उत्तर : हनुमान जी यह जानना चाहते थे कि वे कौन हैं और उनका उद्देश्य क्या है, इसलिए वेश बदलकर गए।
प्रश्न - 2. हनुमानजी ने किस आधार पर सोचा की श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हो सकती है?
उत्तर : हनुमान जी ने दोनों की परिस्थिति समान देखी—दोनों ही कष्ट में थे और सहारा चाहते थे। इसी आधार पर उन्होंने सोचा कि श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हो सकती है।
प्रश्न - 3. बालि ऋष्यमूक पर्वत पर क्यों नहीं जाता था?
उत्तर : क्योंकि उसे ऋषि मतंग का शाप था कि यदि वह ऋष्यमूक पर्वत पर जाएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।
प्रश्न - 4. सुग्रीव को किस प्रकार भरोसा हुआ कि श्रीराम बालि का वध कर सकते हैं?
उत्तर : श्रीराम ने अपनी शक्ति दिखाते हुए एक बाण से सात ताल वृक्षों को भेद दिया। यह देखकर सुग्रीव को पूरा विश्वास हो गया।
प्रश्न - 5. सुग्रीव तथा बालि के प्रथम मल्लयुद्ध पर श्रीराम ने बालि पर बाण क्यों नहीं चलाया था?
उत्तर : क्योंकि दोनों भाई एक जैसे दिखते थे, श्रीराम को यह स्पष्ट नहीं हो सका कि कौन बालि है और कौन सुग्रीव।
प्रश्न - 6. सुग्रीव ने अपने मित्र श्रीराम की क्या सहायता की?
उत्तर : सुग्रीव ने वानरों को चारों दिशाओं में सीता की खोज के लिए भेजा और युद्ध में श्रीराम की सहायता की।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. 'तारा बड़ी बुद्धिमती स्त्री थी', यह किस आधार पर कहा जा सकता है?
उत्तर : तारा ने बालि को सुग्रीव से युद्ध करने से रोका था क्योंकि वह जानती थी कि सुग्रीव के साथ श्रीराम जैसे शक्तिशाली वीर खड़े हैं। उसने बालि को सावधान किया कि यह युद्ध उसके लिए हानिकारक हो सकता है। उसकी दूरदर्शिता और उचित सलाह से यह सिद्ध होता है कि तारा वास्तव में बुद्धिमती स्त्री थी।
प्रश्न - 2. 'मैंने तुम्हें मारकर धर्म की रक्षा की है', इसका क्या भाव या आशय है?
उत्तर : यह वचन श्रीराम ने बालि को मारने के बाद कहा था।
इसका भाव यह है कि बालि ने अपने भाई सुग्रीव की पत्नी को छीनकर अन्याय किया था। वह अधर्म के मार्ग पर चल रहा था। धर्म की स्थापना और न्याय की रक्षा के लिए अधर्मी और अन्यायी का नाश करना आवश्यक है। इसलिए श्रीराम ने कहा कि बालि का वध कर उन्होंने धर्म की रक्षा की है।