प्रश्न - 1. नेताजी के पत्र का प्रमुख विषय क्या है?
उत्तर : नेताजी के पत्र का प्रमुख विषय लोकमान्य तिलक का मांडले जेल का कारावास जीवन और उसमें झेली गई कठिनाइयाँ हैं ।
प्रश्न - 2. सुभाषचंद्र बोस को किस जेल से किस जेल के लिए स्थानांतरण आदेश मिला था?
उत्तर : उन्हें बरहमपुर जेल (बंगाल) से मांडले जेल (बर्मा) के लिए स्थानांतरण आदेश मिला था।
प्रश्न - 3. सुभाषचंद्र बोस ने मांडले जेल को तीर्थस्थल क्यों कहा?
उत्तर : क्योंकि वहाँ लोकमान्य तिलक ने छह वर्ष कारावास भोगते हुए गीता-भाष्य जैसा महान ग्रंथ लिखा था।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. मांडले में लोकमान्य तिलक के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था?
उत्तर : लोकमान्य तिलक को मांडले जेल में पूर्णतः अकेले रखा गया। उन्हें अन्य कैदियों से मिलने की अनुमति नहीं थी, न ही समाचार-पत्र दिए जाते थे। केवल पुस्तकें ही उनका सहारा थीं। वे मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलते रहे, मधुमेह से पीड़ित होने के बावजूद कठोर कारावास सहते रहे।
प्रश्न - 2. सुभाषचंद्र बोस ने लोकमान्य तिलक को विश्व के महापुरुषों में प्रथम पंक्ति में स्थान मिलने की सिफारिश क्यों की?
उत्तर : क्योंकि उन्होंने मधुमेह और कठोर कारावास जैसी परिस्थितियों में भी अपने मानसिक संतुलन और बौद्धिक क्षमता को अक्षुण्ण रखा तथा गीता-भाष्य जैसा युग-निर्माणकारी ग्रंथ रचा।
प्रश्न - 3. सुभाषचंद्र बोस के अनुसार अपने आपको बंदी जीवन के अनुकूल बनाने के लिए स्वयं में क्या-क्या परिवर्तन लाने होते हैं?
उत्तर : इसके लिए पुरानी आदतें छोड़नी पड़ती हैं, नियमों के आगे नत होना पड़ता है, फिर भी स्वास्थ्य और उत्साह बनाए रखना पड़ता है। दास-वृत्ति से बचते हुए मानसिक संतुलन और आंतरिक प्रसन्नता को अक्षुण्ण रखना आवश्यक है।
प्रश्न - 1. 'यह विश्व भगवान की कृति है लेकिन जेलें मानव कृतित्व की निशानी हैं।' स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : सुभाषचंद्र बोस के अनुसार यह सृष्टि और प्रकृति ईश्वर की बनाई हुई है, जिसमें स्वतंत्रता और सौंदर्य है। इसके विपरीत जेलें मनुष्यों द्वारा बनाई गई ऐसी जगहें हैं जहाँ कैदियों को कठोर अनुशासन, नियम और यंत्रणाओं से गुजरना पड़ता है। जेलें मानव की निर्ममता, दासता और कठोरता की प्रतीक हैं। इसलिए संसार ईश्वर की रचना है जबकि जेलें मानव कृतित्व की निशानी हैं।
प्रश्न - 'अपनी आत्मा के हास के बिना बंदी जीवन के प्रति स्वयं को अनुकूल बना पाना आसान काम नहीं है।' इससे क्या अभिप्राय है? सविस्तार समझाइए।
उत्तर : इसका अभिप्राय है कि जेल जीवन में कैदी को अनेक प्रकार के कष्ट और सीमाएँ सहनी पड़ती हैं। उसे पुरानी आदतें छोड़नी पड़ती हैं, कठोर नियम मानने पड़ते हैं और स्वतंत्रता खोनी पड़ती है। ऐसे समय में आत्मा का ह्रास यानी आत्मबल और उत्साह का खोना स्वाभाविक है। लेकिन सच्चा संकल्पवान व्यक्ति ही मानसिक संतुलन बनाए रखते हुए उत्साह और प्रफुल्लता को कायम रख पाता है। लोकमान्य तिलक इसका श्रेष्ठ उदाहरण थे।