उत्तर : चरित्र व्यक्ति की मानसिक, नैतिक और सामाजिक विशेषताएँ हैं, जो उसके विचारों, कार्यों और मूल्यों द्वारा परिभाषित होती हैं।
प्रश्न - 2. जगत का सारा व्यवहार किस पर अधारित है?
उत्तर : जगत का सारा व्यवहार न्याय और नैतिकता पर आधारित है। यह प्राकृतिक और सामाजिक नियमों के अनुसार संचालित होता है, जो सत्य, धर्म, और संतुलन बनाए रखते हैं।
प्रश्न - 3. किसकी महिमा सभी स्वीकार करते हैं?
उत्तर : सत्य की महिमा सभी स्वीकार करते हैं। सत्य को सार्वभौमिक रूप से महान और श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह निरंतर और अपरिवर्तनीय होता है।
प्रश्न - 4. यदि सुख की अभिलाषा हो तो क्या छोड़ना पड़ेगा?
उत्तर : यदि सुख की अभिलाषा हो, तो इच्छाओं, वासनाओं और अहंकार को छोड़ना पड़ेगा, ताकि मानसिक शांति प्राप्त हो सके।
प्रश्न - 5. विद्याभ्यास के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर : विद्याभ्यास के लिए समय की योजना, निरंतर अभ्यास, ध्यान, मेहनत, और साहस आवश्यक हैं, साथ ही आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए।
प्रश्न - 6. अनुकूलता में प्रतिकूलता किन्हें दिखाई देती है?
उत्तर : अनुकूलता में प्रतिकूलता उन्हें दिखाई देती है, जिनका नकारात्मक दृष्टिकोण होता है या जो सकारात्मकता को अपनाने में असमर्थ होते हैं।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. समुद्र का खारा जल अमृत-तुल्य किस प्रकार बनता है?
उत्तर : समुद्र का खारा जल स्वास्थ्य और शांति के लिए अमृत-तुल्य बनता है जब उसका उपयोग नहाने, आयुर्वेदिक उपचार या आध्यात्मिक ध्यान में किया जाता है, जो शुद्धि और ऊर्जा प्रदान करता है।
प्रश्न - 2. जीवन और मरण की मधुरता का क्या रहस्य है?
उत्तर : जीवन और मरण की मधुरता का रहस्य स्वीकार और समझ में है। जीवन की क्षणभंगुरता को समझकर मरण को एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करना ही शांति देता है।
प्रश्न - 3. अच्छी और बुरी वस्तु में क्या भेद है?
उत्तर : अच्छी वस्तु वह है जो सत्य, धर्म, और नैतिकता के अनुरूप हो, जबकि बुरी वस्तु वह है जो झूठ, अधर्म, और विनाशकारी परिणामों का कारण बनती है। अच्छाई मनुष्य को उन्नति की ओर ले जाती है।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. सोदाहरण स्पष्ट कीजिए कि विद्वान का बल वाणी और मूर्ख का बल मौन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : विद्वान का बल वाणी में है, क्योंकि वह विचारशील तरीके से ज्ञान साझा करता है। मूर्ख का बल मौन में है, क्योंकि वह अपनी अज्ञानता से बचने के लिए चुप रहता है।
प्रश्न - 2. जिनके गलत अभ्यास व गलत आदतें बन जाती हैं, उन्हें अनुकूलताएँ भी प्रतिकूलताएँ क्यों लगती हैं? सोदाहरण। कीजिए।
उत्तर : गलत अभ्यास और आदतें व्यक्ति की सोच को नकारात्मक बना देती हैं। ऐसे में, अनुकूलताएँ भी प्रतिकूलताएँ लगने लगती हैं, जैसे आलसी व्यक्ति को मेहनत भी कठिन और अवांछनीय लगती है।
प्रश्न - 3. जीवन में चरित्र-निर्माण के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर : जीवन में चरित्र-निर्माण का महत्त्व अत्यधिक है, क्योंकि यह व्यक्ति की नैतिकता, ईमानदारी, और सामाजिक व्यवहार को आकार देता है, जिससे आत्मसम्मान, सफलता और समाज में सम्मान मिलता है।