प्रश्न - 1. समय के साथ काम करने वाली दो शक्तियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर : समय के साथ काम करने वाली दो शक्तियाँ हैं: प्रेरणा और निरंतरता, जो सफलता प्राप्त करने में मदद करती हैं।
प्रश्न - 2. समय का सुदपयोग कब किया माना जाता है?
उत्तर : समय का सदुपयोग तब किया माना जाता है, जब हम उसे अपने लक्ष्यों की ओर प्रगति करने, ज्ञान बढ़ाने और व्यक्तिगत विकास में लगाते हैं, न कि व्यर्थ गतिविधियों में।
प्रश्न - 3. समय का दुरुपयोग कब किया माना जाता है?
उत्तर : समय का दुरुपयोग तब किया माना जाता है, जब हम उसे अव्यवस्थित तरीके से, बिना उद्देश्य या अनावश्यक कार्यों में बर्बाद करते हैं, जिससे न तो कोई व्यक्तिगत विकास होता है और न ही लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. कोई कृति कब गौरव गरिमा का परिचय दे सकेगी?
उत्तर : कोई कृति तभी गौरव और गरिमा का परिचय दे सकती है, जब वह उच्च नैतिक मूल्यों, सत्य, ईमानदारी और समाज के भले के लिए की जाए, और उसका प्रभाव स्थायी हो।
प्रश्न - 2. किस प्रकार के लोग अपने-अपने क्षेत्रों में बाजी मारते हैं?
उत्तर : वे लोग अपने-अपने क्षेत्रों में बाजी मारते हैं, जो निरंतर मेहनत, समर्पण, उद्देश्यपूर्ण कार्य और आत्मविश्वास के साथ चुनौतियों का सामना करते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।
प्रश्न - 3. अच्छी वस्तुओं के निर्माण की क्या पृष्ठभूमि बताई गई है।
उत्तर : अच्छी वस्तुओं के निर्माण की पृष्ठभूमि यह है कि यह समर्पण, निरंतर अभ्यास, उच्च गुणवत्ता की मेहनत और उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण से उत्पन्न होती है, जो उत्कृष्टता की ओर मार्गदर्शन करती है।
प्रश्न - 4. किस प्रकार की वस्तुओं की माँग अपेक्षाकृत अधिक रहती है?
उत्तर : वे वस्तुएँ जिनकी गुणवत्ता उच्च होती है, जो उपयोगी, टिकाऊ और समय की आवश्यकताओं के अनुरूप होती हैं, उनकी माँग अपेक्षाकृत अधिक रहती है। इनकी विश्वसनीयता और प्रासंगिकता ग्राहकों को आकर्षित करती है।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. किसी भी क्षेत्र के मूर्धन्य लोग सामान्य से असामान्य स्तर पर किस प्रकार पहुँचते हैं?
उत्तर : किसी भी क्षेत्र के मूर्धन्य लोग सामान्य से असामान्य स्तर पर अपने कड़ी मेहनत, समर्पण, निरंतर अभ्यास, आत्मविश्वास और समय के प्रबंधन के द्वारा पहुँचते हैं। वे चुनौतियों का सामना करते हुए, उच्च मानकों को स्थापित करते हैं और अपने क्षेत्र में विशिष्टता प्राप्त करते हैं।
प्रश्न - 2. 'आधे-अधूरे, काने कुबड़े' कार्यों से क्या अभिप्राय है? ये इस स्थिति को क्योंकर प्राप्त होते हैं।'
उत्तर : 'आधे-अधूरे, काने कुबड़े' कार्यों से अभिप्राय है ऐसे कार्य जो अधूरे, अपूर्ण या गलत तरीके से किए जाते हैं। ये कार्य किसी उद्देश्य, गुणवत्ता या प्रयास के अभाव में उत्पन्न होते हैं। ये स्थिति तब प्राप्त होती है जब व्यक्ति आलस्य, लापरवाही या असावधानी से काम करता है, बिना पूरी मेहनत या समर्पण के। ऐसे कार्यों का परिणाम अक्सर असफलता और संतोष की कमी होता है।
प्रश्न - 3. किस प्रकार से किए गए कार्य अपनी सुघड़ता का परिचय देते हैं?
उत्तर : सुघड़ता का परिचय वे कार्य देते हैं जो ध्यानपूर्वक, योजनाबद्ध तरीके से, पूरी मेहनत और उत्कृष्टता के साथ किए जाते हैं। इन कार्यों में स्पष्टता, संतुलन और समर्पण दिखाई देता है।
प्रश्न - 4. समय के सदुपयोग को अपनाने के क्या लाभ होते हैं?
उत्तर : समय के सदुपयोग से व्यक्ति अपने लक्ष्यों को जल्दी और प्रभावी तरीके से प्राप्त करता है, मानसिक शांति मिलती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में संतुलन और सफलता सुनिश्चित होती है।
प्रश्न - 5. 'जिस काम के साथ कोई महत्त्वपूर्ण उद्देश्य न जुड़ा हो, वह रुचिकर नहीं हो सकता' सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : "जिस काम के साथ कोई महत्त्वपूर्ण उद्देश्य न जुड़ा हो, वह रुचिकर नहीं हो सकता" का अर्थ है कि जब कार्य का कोई स्पष्ट लक्ष्य या उद्देश्य नहीं होता, तो उसे पूरा करना उबाऊ लगता है। उदाहरण स्वरूप, बिना किसी उद्देश्य के खेल खेलना या बिना लक्ष्य के पढ़ाई करना अक्सर मन को आकर्षित नहीं करता। लेकिन जब उस कार्य से किसी महत्त्वपूर्ण लक्ष्य जैसे सफलता, सम्मान या आत्मसंतोष का जुड़ाव होता है, तो वह कार्य रुचिकर और प्रेरणादायक बन जाता है।