प्रश्न - 1. लेखक के अनुसार सभ्यता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : लेखक के अनुसार, सभ्यता का अभिप्राय व्यक्ति और समाज के विकास, उनके नैतिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक उन्नति से है।
प्रश्न - 2. लेखक ने संस्कृति किसे कहा है?
उत्तर : लेखक ने संस्कृति को समाज की जीवनशैली, परंपराएँ, विश्वास और मूल्य जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होते हैं, कहा है।
प्रश्न - 3. मनुष्य में छह विकार कौन-से हैं?
उत्तर : मनुष्य में छह विकार हैं: काम (इच्छा), क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, और ईर्ष्या, जो उसकी मानसिक शांति को नष्ट करते हैं।
लघूत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न - 1. हमारी संस्कृति को उन्नत बनाने वाले चार अध्याय कौन-कौन से हैं?
उत्तर : हमारी संस्कृति को उन्नत बनाने वाले चार अध्याय हैं: आध्यात्मिकता, नैतिकता, ज्ञान और सामाजिक संगठन। ये चार तत्व व्यक्ति और समाज के समग्र विकास के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं।
प्रश्न - 2. मनुष्य पशु से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर : मनुष्य पशु से बुद्धिमत्ता, भाषा, और सामाजिक संरचना में भिन्न है, क्योंकि वह सोचने, निर्णय लेने और संस्कृतियों का निर्माण करने में सक्षम है। इसके अतिरिक्त, मनुष्य का आत्मचेतना और नैतिकता पर भी गहरा प्रभाव है।
प्रश्न - 3. मनुष्य ने सभ्य होने का पाठ किस प्रकार पढ़ा?
उत्तर : मनुष्य ने सभ्य होने का पाठ अनुभव, शिक्षा, और समाजिक व्यवहार से सीखा, जिसमें उसने सामाजिक नियमों, नैतिकता और संवाद के माध्यम से अपने कार्यों और सोच को विकसित किया। इस प्रक्रिया ने उसे बेहतर जीवन और सहयोग की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न -
प्रश्न - 1. सभ्य और सुसंकृत कौन हैं? दृष्टांत देकर विवेचना कीजिए।
उत्तर : सभ्य व्यक्ति वह है जो समाज के नियमों और शिष्टाचार का पालन करता है, जैसे एक व्यक्ति जो ट्रैफिक सिग्नल का पालन करता है और सार्वजनिक स्थानों पर सभ्यता बनाए रखता है। वहीं, सुसंस्कृत व्यक्ति वह है जो अपने आंतरिक गुणों जैसे दया, सहानुभूति और ईमानदारी को अपनाता है, जैसे एक व्यक्ति जो न केवल दूसरों की मदद करता है, बल्कि अपनी बातों और कार्यों से समाज में सकारात्मक प्रभाव डालता है।
प्रश्न - 2 'संस्कृति धन नहीं, गुण है।' स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : "संस्कृति धन नहीं, गुण है" का अर्थ है कि संस्कृति केवल भौतिक संपत्ति या धन से जुड़ी नहीं होती, बल्कि यह आचार-व्यवहार, नैतिकता, और समाजिक जिम्मेदारियों के पालन से जुड़ी होती है। एक व्यक्ति की सुसंस्कृतता उसके आंतरिक गुणों और सभ्यता को दर्शाती है, न कि केवल उसके भौतिक संसाधनों को।
प्रश्न - 3. हमारी संस्कृति किस प्रकार हमें पशुता छोड़ मनुष्यत्व की ओर प्रवृत्त करती है?
उत्तर : हमारी संस्कृति हमें आत्म-नियंत्रण, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाती है, जो हमें पशुता से ऊपर उठाकर मनुष्यत्व की ओर प्रवृत्त करती है। संस्कार, सद्गुण और धार्मिक शिक्षाएं हमें आंतरिक रूप से श्रेष्ठ बनाती हैं और दूसरों के प्रति सहानुभूति, दया और सम्मान की भावना जागृत करती हैं।
प्रश्न - 4. 'भारत की संस्कृति विविधता में भी एकता को प्रदर्शित करती हैं।' सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : भारत की संस्कृति विविधता में भी एकता को प्रदर्शित करती है, क्योंकि यहाँ विभिन्न धर्म, भाषा, जाति और रीति-रिवाज होते हुए भी लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। उदाहरण स्वरूप, दीपावली, ईद, क्रिसमस जैसे त्योहार सभी समुदाय मिलकर मनाते हैं, जो देश की सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है।